41 साल बाद रचा इतिहास, डॉकिंग पूरी — कुछ देर में ISS में प्रवेश करेंगे
भारत के गगनयात्री और भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 26 जून को शाम 4:01 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे। करीब 28 घंटे के सफर के बाद स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल से उड़ान भरने वाले शुभांशु और उनकी टीम कुछ देर में स्पेस स्टेशन में प्रवेश करेंगे।
41 साल बाद भारतीय गगनयात्री का सफर
शुभांशु शुक्ला स्पेस में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत स्पेसक्राफ्ट से यह उपलब्धि हासिल की थी।
लाइव संवाद में बोले शुभांशु:
“नमस्कार फ्रॉम स्पेस! यह एक अद्भुत अनुभव है। जब 30 दिन के क्वारंटीन के बाद कैप्सूल में बैठा, तो बस चाहत थी कि उड़ान जल्द शुरू हो जाए। लॉन्च होते ही ऐसा एहसास हुआ जैसे सीट में धंस गया हूं, और फिर अचानक सब कुछ शांत हो गया… जैसे आप शून्य में तैर रहे हों।”
डॉकिंग के बाद संवाद:
ISS क्रू मेंबर: “हम आपको देखने के लिए बेहद उत्साहित हैं, हैच खोलने और गले लगाने का इंतजार है!”
एग्जियम-4 क्रू (पेगी व्हिटसन): “हम भी बेहद उत्सुक हैं, यहां होना एक सम्मान है।”
भारत में माता-पिता की भावुक प्रतिक्रिया:
लखनऊ में शुभांशु के माता-पिता, आशा शुक्ला और शंभु दयाल शुक्ला, टीवी पर लाइव मिशन देख भावविभोर हुए।
स्पेस में शुभांशु का पहला मैसेज:
“नमस्ते फ्रॉम स्पेस! मैं यहां सीख रहा हूं — चलना, खाना, तैरना, सब कुछ… यह एक नया वातावरण है, एक नई चुनौती है। यह व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि सभी लोगों की साझा जीत है जिन्होंने इसे संभव बनाया है।”
स्पेस में शुभांशु के साथ ले जाए गए भारतीय व्यंजन
शुभांशु शुक्ला अपने साथ विशेष तौर पर तैयार भारतीय मिठाइयाँ ले गए हैं:
आम का रस
गाजर का हलवा
मूंग दाल का हलवा
मिशन के उद्देश्य और प्रयोग
14 दिन तक 7 भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे — बायोलॉजिकल अध्ययन, मानव स्वास्थ्य और माइक्रोग्रेविटी के असर की जांच
NASA के साथ 5 प्रयोग करेंगे — लंबे स्पेस मिशनों के लिए डाटा जुटाने में सहायक
यह सभी प्रयोग भारत के गगनयान मिशन को मजबूत करेंगे, जो 2027 में लॉन्च होने की संभावना है
मिशन में 6 बार हुआ विलंब
- 29 मई: ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट तैयार नहीं था
- 8 जून: फाल्कन-9 रॉकेट लॉन्च के लिए फिट नहीं
- 10 जून: खराब मौसम
- 11 जून: ऑक्सीजन लीक होने से लॉन्च टल गया
- 19 जून: क्रू मेंबर्स की सेहत और मौसम में बदलाव
- 22 जून: ISS के ज्वेज़्दा सर्विस मॉड्यूल के मूल्यांकन के लिए लॉन्च आगे बढ़ाया गया
मिशन का उद्देश्य
स्पेस स्टेशन बनाने की प्लानिंग में सहायकमाइक्रोग्रेविटी में तकनीक और वैज्ञानिक प्रयोग निजी स्पेस ट्रेवल और कमर्शियल स्पेस स्टेशन का मार्गदर्शन शैक्षिक गतिविधियों और वैश्विक स्पेस सहकारिता को बढ़ावा देना
जानें शुभांशु शुक्ला के बारे में
जन्म: 1986, लखनऊ
शिक्षा: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA)
वायु सेना में करियर: 2005 में शामिल, फाइटर जेट उड़ाने का अनुभव
गगनयान मिशन में भूमिका: भारत के पहले मानव स्पेस मिशन के लिए चुने गए गगनयात्री
ट्रेनिंग: रूस और अमेरिका में स्पेसक्राफ्ट संचालन और इमरजेंसी सिमुलेशन्स में प्रशिक्षित
सवाल-जवाब
Q1. शुभांशु ISS में क्या करेंगे?
A1. वे 14 दिन में 7 भारतीय और 5 NASA प्रयोग करेंगे, जो गगनयान और लंबे स्पेस मिशनों में सहायक होंगे।
Q2. शुभांशु साथ क्या ले गए?
A2. विशेष भारतीय मिठाइयाँ — आम का रस, गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा।
Q3. भारत को क्या फायदा होगा?
A3. यह मिशन भारत के गगनयान प्रोजेक्ट को आगे ले जाने और स्पेस टेक्नोलॉजी में सहकारिता को मजबूत करने में सहायक होगा।
नीचे दिए भाग का रीराइट किया हुआ संस्करण पेश है — व्यवस्थित, साफ़ और पेशेवर अंदाज़ में:
सवाल 5: इस मिशन में भारत का खर्च क्या है?
जवाब: भारत ने इस मिशन में लगभग 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह खर्च शुभांशु शुक्ला और उनके बैकअप गगनयात्री, ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, की ट्रेनिंग, उपकरण और इंटरनेशनल स्पेस साझेदारी में किया गया है। शुभांशु और उनकी टीम ने NASA, ESA और JAXA जैसे विश्वस्तरीय स्पेस एजेंसियों में गहन ट्रेनिंग पूरी की है। यह निवेश भारत के गगनयान मिशन (2027) के लिए बेहद अहम है, जो देश का पहला मानव स्पेसफ्लाइट होगा।
सवाल 6: भारत के लिए यह मिशन कितना अहम है?
जवाब: यह मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम के लिए बेहद अहम है। शुभांशु शुक्ला इस मिशन से जो डेटा और अनुभव लेकर लौटेंगे, वह भारत के आगामी गगनयान अभियान और मानव अंतरिक्ष उड़ानों को आगे बढ़ाने में सहायक होगा।
सवाल 7: क्या यह एक प्राइवेट स्पेस मिशन है?
जवाब: हां, यह एक निजी स्पेसफ्लाइट है। एक्सियम मिशन 4 अमेरिकी निजी स्पेस कंपनी Axiom Space और NASA के सहयोग से किया गया है। यह Axiom Space का चौथा निजी स्पेस मिशन है:
Axiom-1: अप्रैल 2022 में लॉन्च (17 दिन)
Axiom-2: मई 2023 में लॉन्च (8 दिन)
Axiom-3: जनवरी 2024 में लॉन्च (18 दिन)
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) क्या है?
ISS एक विशाल स्पेस लैब है जो पृथ्वी के चारों ओर लगभग 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से घूमता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है और लगभग 400 किमी की ऊंचाई पर स्थित है।
ISS में लगातार एस्ट्रोनॉट रहते और माइक्रोग्रेविटी में वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं। यह विश्व की 5 प्रमुख स्पेस एजेंसियों — NASA (USA), ESA (यूरोप), JAXA (जापान), Roscosmos (रूस) और CSA (कनाडा) — का साझा प्रोजेक्ट है।
पहला हिस्सा नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था।
यह स्टेशन लगभग 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगाता है और हर 24 घंटे में लगभग 16 बार पृथ्वी का चक्कर पूरा करता है।
स्टेशन का सोलर पैनल 350 फीट का है — यानी दुनिया के सबसे बड़े यात्री विमान एयरबस A300 से भी लंबा!
शुभांशु शुक्ला से जुड़ी और जानकारियाँ
- मां की भावुक प्रतिक्रिया: लखनऊ में शुभांशु शुक्ला के माता-पिता बेटे की ऐतिहासिक उड़ान से बेहद खुश और भावुक हैं। रवाना होने के वक्त उनकी मां की आंखें भर आईं, हालांकि वे शुभांशु की इस उपलब्धि से बेहद गर्वित हैं।
- बचपन का सपना: बहन ने साझा किया कि शुभांशु बचपन से ही कहते थे, “मैं एक दिन तारों तक जाऊंगा” — अब यह सपना साकार हो रहा है!