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मध्यप्रदेश में मानसून का कहर: अगले 4 दिन भारी बारिश का अलर्ट, जबलपुर-मंडला समेत 30 जिले हाई अलर्ट पर

मध्यप्रदेश में मानसून की रफ्तार तेज़ हो चुकी है और अब यह अपना कहर बरपाने लगा है। प्रदेश के कई जिलों में पिछले 24 घंटों से लगातार भारी बारिश हो रही है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। खासकर पूर्वी, मध्य और उत्तरी मध्यप्रदेश के जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। मौसम विभाग ने शुक्रवार से आगामी 4 दिनों तक लगातार भारी से अति भारी बारिश की चेतावनी दी है। साथ ही बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं, जिसके मद्देनजर प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है।

30 जिलों में बारिश का येलो और ऑरेंज अलर्ट

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा जारी ताजा अपडेट के अनुसार, जबलपुर, मंडला, डिंडौरी, बालाघाट, श्योपुर, शिवपुरी और गुना जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जहां 8 इंच तक बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया, विदिशा, रायसेन, पांढुर्णा, छिंदवाड़ा, सिवनी, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, राजगढ़, अशोकनगर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, कटनी, मैहर, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर में येलो अलर्ट है यानी भारी बारिश के आसार हैं।

प्रदेश के अन्य जिलों में भी रुक-रुक कर बारिश होती रहेगी। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, देवास, धार, सीधी, बैतूल, शाजापुर, आगर-मालवा जैसे शहरों में भी अगले कुछ दिनों में बारिश की तीव्रता बढ़ सकती है।



मॉनसून की सक्रियता का वैज्ञानिक कारण

भोपाल मौसम विज्ञान केंद्र की सीनियर वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश से दो ट्रफ लाइन गुजर रही हैं। इसके साथ ही एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम भी प्रदेश के ऊपर सक्रिय है। इन तीनों सिस्टम के संयुक्त प्रभाव से व्यापक स्तर पर भारी वर्षा हो रही है और आने वाले 4 दिनों तक स्थिति ऐसी ही बनी रहने की संभावना है।

मंडला और शिवपुरी में बाढ़ जैसे हालात, 70 से अधिक लोगों का रेस्क्यू

गुरुवार को मंडला जिले के बिछिया क्षेत्र में मूसलधार बारिश हुई, जिससे कई गांवों में बाढ़ की स्थिति बन गई। होमगार्ड की टीमों ने वहां तैनाती लेकर 70 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। नदी-नालों का जलस्तर बढ़ने से गांवों का संपर्क मुख्य सड़कों से टूट गया। कई जगह लोग पानी में फंसे नजर आए।

शिवपुरी जिले के ग्रामीण इलाकों, खासकर कोलारस और चनैनी गांवों में हालात चिंताजनक हैं। यहां सिंध नदी उफान पर है और ग्रामीण बच्चों को कंधों पर उठाकर नदी पार करा रहे हैं। कई गांवों में पानी घरों, मंदिरों और स्कूलों में भर गया है।

राजधानी भोपाल और अन्य बड़े शहरों में भी बारिश का असर

भोपाल में गुरुवार दोपहर से ही रिमझिम बारिश का सिलसिला शुरू हो गया था, जो देर रात तक जारी रहा। वहीं, रीवा, खजुराहो, दतिया, शिवपुरी और मंडला में आधा से पौन इंच तक बारिश दर्ज की गई। इंदौर, गुना, बैतूल, ग्वालियर, सतना, उमरिया, बालाघाट, शाजापुर, मऊगंज जैसे 20 से अधिक जिलों में रुक-रुक कर बारिश होती रही।

उमरिया जिले की कथली नदी का पानी पुल तक पहुंच गया, जिससे आसपास के गांवों में खतरे की स्थिति उत्पन्न हो गई। निवाड़ी के ओरछा क्षेत्र में भी भारी बारिश के चलते सड़कें पानी से भर गईं।

मानसून की देरी और तेज़ी: कब-कहां कितना असर

इस वर्ष मानसून की शुरुआत राष्ट्रीय स्तर पर समय से पहले हुई थी। हालांकि, मध्यप्रदेश में मानसून की एंट्री सामान्य तिथि 15 जून से एक दिन देरी से हुई। जून के पहले सप्ताह में मानसून की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में यह रुक गया। 13-14 जून को मानसून ने आगे बढ़ते हुए एमपी में प्रवेश किया। महज 5 दिनों के भीतर प्रदेश के सभी 55 जिलों को कवर कर लिया गया।

पिछले 10 सालों में जुलाई का बारिश रिकॉर्ड

भोपाल में 1986 का रेकॉर्ड कायम

भोपाल में जुलाई 1986 में सबसे ज्यादा 1031.4 मिमी (लगभग 41 इंच) बारिश हुई थी। वहीं, 22 जुलाई 1973 को एक ही दिन में 11 इंच बारिश दर्ज की गई थी। साल 2024 में जुलाई में कुल 15.70 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई थी। सामान्यत: भोपाल में जुलाई में 15 दिन बारिश होती है और औसत वर्षा 367.7 मिमी (14.4 इंच) होती है। बारिश के कारण यहां दिन का तापमान 30 डिग्री और रात का तापमान 25 डिग्री से नीचे चला जाता है।

इंदौर में अब तक 40% अधिक वर्षा

इंदौर में अब तक सामान्य से 40% अधिक बारिश हो चुकी है। वर्ष 1913 में 24 घंटे में सबसे अधिक 11.5 इंच वर्षा दर्ज की गई थी, जबकि जुलाई 1973 में पूरे महीने 30.5 इंच पानी गिरा था। यहां सामान्यतः जुलाई में 13 दिन बारिश होती है और औसत 12 इंच पानी गिरता है। पिछले साल यहां जुलाई में 8.77 इंच वर्षा हुई थी।

जबलपुर: सबसे अधिक बारिश वाला शहर

जबलपुर में बारिश का रिकॉर्ड सबसे ऊपर है। वर्ष 1930 में जुलाई में 45 इंच पानी गिरा था। वहीं 30 जुलाई 1915 को एक दिन में 13.5 इंच बारिश दर्ज की गई थी। जबलपुर में औसतन जुलाई में 17 इंच बारिश होती है और 15 से 16 दिन बारिश होती है। वर्ष 2024 में अब तक साढ़े 13 इंच बारिश हो चुकी है।

ग्वालियर: तुलनात्मक रूप से कम बारिश

ग्वालियर में पिछले 10 वर्षों में 6 बार ऐसा हुआ जब जुलाई में 8 इंच से कम बारिश हुई। यहां की औसत जुलाई बारिश 9 इंच मानी जाती है। वर्ष 1935 में यहां सबसे अधिक 24.5 इंच बारिश हुई थी। 12 जुलाई 2015 को 24 घंटे में 7.5 इंच पानी बरसा था। यहां औसतन जुलाई में 11 दिन वर्षा होती है।

उज्जैन में भी वर्षा का रौद्र रूप

उज्जैन में जुलाई 2015 में सबसे ज्यादा 36 इंच बारिश हुई थी। वहीं, 2023 में 21 इंच से अधिक पानी गिरा। 19 जुलाई 2015 को एक दिन में 12.55 इंच बारिश दर्ज की गई थी। उज्जैन में जुलाई की औसत बारिश 13 इंच होती है और 12 दिन पानी गिरता है।


प्रशासनिक तैयारी और जनता से अपील

प्रदेश सरकार ने जिला प्रशासन को सतर्क रहने और बाढ़ संभावित क्षेत्रों में रेस्क्यू टीम्स की तैनाती के निर्देश दिए हैं। NDRF और SDRF की टीमें स्टैंडबाय पर हैं। मुख्यमंत्री द्वारा उच्च अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि संवेदनशील क्षेत्रों में आवश्यक राहत सामग्री पहले से उपलब्ध कराई जाए।

जनता से अपील की गई है कि वे नदियों, नालों के आसपास न जाएं, सोशल मीडिया पर अफवाहों से बचें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।

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