भोपाल। मध्यप्रदेश में मानसून अब अपने प्रचंड रूप में आ चुका है। बीते 24 घंटों में राज्य के कई जिलों में भारी से अति भारी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अलीराजपुर, डिंडौरी, मंडला और जबलपुर जैसे जिलों में हालात काफी गंभीर हो चुके हैं। तेज बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं, पुल-पुलिया जलमग्न हो चुकी हैं और कई इलाकों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है। इस बारिश ने न केवल पुराने रिकॉर्ड तोड़े हैं, बल्कि प्रशासन के लिए नई चुनौतियां भी खड़ी कर दी हैं।
अलीराजपुर में 15 साल का रिकॉर्ड टूटा, उर नदी उफान पर

राज्य के अलीराजपुर जिले के आमखुट क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश ने 15 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मंगलवार सुबह 6 बजे से शुरू हुई बारिश ने सिर्फ पांच घंटे में जिले को जलमग्न कर दिया। उर नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ता गया और पानी पुलिया से करीब 3 फीट ऊपर बहने लगा। स्थिति यह रही कि कई घरों में पानी घुस गया और जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया।
यह क्षेत्र मिनी कश्मीर के नाम से जाना जाता है, लेकिन अब यह जल प्रलय का दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। जिले के कट्टिवाड़ा ब्लॉक में स्थित आमखुट में सबसे अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई। आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 16 जुलाई तक जिले में 3319.6 मिमी वर्षा हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में कहीं अधिक है। जिले में सर्वाधिक वर्षा कट्टिवाड़ा में 1076.5 मिमी तथा सबसे कम सोहवा में 200.0 मिमी दर्ज की गई है।
डिंडौरी और मंडला में पुल डूबे, सड़कों पर बहता पानी
डिंडौरी और मंडला जिलों में भी हालात चिंताजनक हैं। डिंडौरी में लगातार हो रही बारिश के चलते नर्मदा नदी समेत अन्य नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है।

कई इलाकों में पुल और सड़कों पर दो से तीन फीट तक पानी भरा हुआ है। वाहनों को दिन में भी हेडलाइट जलाकर चलना पड़ रहा है।

मंडला जिले में बुधवार को सुबह से ही तेज बारिश का सिलसिला जारी रहा। सुभाष वार्ड की सड़कों पर जल निकासी न होने के कारण तीन फीट तक पानी भर गया है। वहीं, नर्मदा तट पर बने कई मंदिर पानी में डूब चुके हैं, जिससे धार्मिक गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं।
भारी बारिश से मकान गिरे, स्कूल भवनों को नुकसान
बारिश से सिर्फ सड़क और नदी ही नहीं, बल्कि लोगों के घर भी प्रभावित हुए हैं। अलीराजपुर में कई कच्चे मकान ढह गए हैं। भंवर प्राथमिक शाला का 35-40 साल पुराना भवन क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे वहां पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। स्कूल की दीवार गिरने से एक छात्र बुसरा खान को हाथ में चोट भी लगी है।
कई मकानों पर मलबा गिर गया, जिससे लोगों को अपने घर खाली करने पड़े। प्रशासन की ओर से अभी तक राहत और पुनर्वास के पर्याप्त उपाय नहीं किए जा सके हैं, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी देखी जा रही है।
मंगलवार को 25 जिलों में बारिश, राजधानी भोपाल भी भीगा
मंगलवार को ग्वालियर, भोपाल, इंदौर समेत 25 से ज्यादा जिलों में मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की गई। सबसे ज्यादा बारिश सालिगर में 2.3 इंच दर्ज की गई। खरगोन, सीधी और उमरिया में भी अच्छी बारिश हुई। भोपाल, दतिया, नर्मदापुरम, बुरहानपुर, शिवपुरी, सागर, सिवनी, बालाघाट, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर, आगर-मालवा और देवास में भी हल्की से मध्यम बारिश रिकॉर्ड की गई।
हालांकि राहत की बात यह रही कि बीते 24 घंटे में बारिश से किसी जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
पूरे प्रदेश में अब तक औसत से 72% अधिक वर्षा
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस मानसून सीजन में मध्यप्रदेश में अब तक औसतन 18.2 इंच (462 मिमी) बारिश हो चुकी है, जो सामान्य औसत की तुलना में 72% अधिक है। कई जिलों में वर्षा का आंकड़ा सामान्य से कहीं अधिक पहुंच चुका है।
निवाड़ी जिला: 103% बारिश (31.46 इंच)
भोपाल: 14.5 इंच
ग्वालियर: 18.5 इंच
जबलपुर: 21.6 इंच
उज्जैन: 12.8 इंच (अनुमानित)
टीकमगढ़: 91% (33 इंच)
छतरपुर: 75% (28 इंच)
शिवपुरी: 82% (25.3 इंच)
मंडला: 75% (35 इंच)
मंडला में बारिश का आंकड़ा 40 इंच के पार
मंडला जिले में इस मानसून के दौरान अब तक 1038 मिमी (40.86 इंच) बारिश रिकॉर्ड की जा चुकी है। 1 जून से 16 जुलाई तक जिले में कुल 914.3 मिमी (35.99 इंच) वर्षा दर्ज की गई थी। इस आंकड़े ने इस क्षेत्र की सामान्य वर्षा के 68% हिस्से को पहले ही पूरा कर दिया है।
पूर्वी एमपी की स्थिति बेहतर, पश्चिमी हिस्से में संकट
प्रदेश के पूर्वी हिस्से जैसे- जबलपुर, रीवा, शहडोल और सागर संभाग में बारिश सामान्य से बेहतर रही है। यहां सामान्य से 86% अधिक वर्षा हो चुकी है। दूसरी ओर, पश्चिमी हिस्से जैसे भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल और नर्मदापुरम संभाग में स्थिति थोड़ी कमजोर है। खासकर इंदौर और उज्जैन संभाग में कई जिलों में वर्षा का आंकड़ा अभी 10 इंच भी नहीं छू पाया है।
मानसून ट्रफ और लो प्रेशर सिस्टम से बारिश का सिलसिला जारी रहेगा
भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक अरुण शर्मा के अनुसार, एक मानसून ट्रफ वर्तमान में प्रदेश के ऊपरी हिस्से से गुजर रही है। साथ ही, बंगाल की खाड़ी में बना लो-प्रेशर एरिया मध्यप्रदेश के नजदीक सक्रिय है, जिससे अगले चार दिनों तक भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
विभाग ने आगामी 17 और 18 जुलाई को कई जिलों के लिए येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसके अंतर्गत अति भारी वर्षा, बिजली गिरने और नदियों का जलस्तर बढ़ने की चेतावनी दी गई है।
संभावित खतरे और प्रशासन की तैयारियां
भारी बारिश के चलते जलाशयों के भरने की रफ्तार बढ़ गई है। हालांकि, कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बनने लगे हैं। राज्य आपदा प्रबंधन बल (SDRF) और स्थानीय प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है। बाढ़ संभावित क्षेत्रों में नाव और राहत सामग्री पहले से ही तैनात की जा रही है। स्कूलों में अवकाश घोषित किया जा सकता है यदि हालात और बिगड़ते हैं।