सावन मास की शुरुआत के साथ ही उत्तर भारत के धार्मिक मार्गों पर श्रद्धा और भक्ति की अद्भुत मिसालें देखने को मिल रही हैं। ऐसे ही एक प्रेरणादायक दृश्य ने पूरे देश का ध्यान खींचा है — जब हरियाणा के बहादुरगढ़ से आए दो पोते अपनी 65 वर्षीय दादी को कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार से बहादुरगढ़ स्थित अपने गांव के शिव मंदिर तक ले जा रहे हैं। यह दूरी लगभग 280 किलोमीटर है, जिसे दोनों पोते पैदल तय कर रहे हैं।
दादी के लिए समर्पित प्रेम और श्रद्धा की अनोखी यात्रा

बहादुरगढ़ के रहने वाले सगे भाई विशु और जतिन की यह यात्रा केवल भक्ति नहीं, बल्कि पारिवारिक मूल्यों और बुजुर्गों के प्रति सम्मान का भी प्रतीक बन गई है। वे न सिर्फ हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौट रहे हैं, बल्कि अपनी दादी राजबाला को भी विशेष रूप से तैयार की गई कांवड़ में बैठाकर साथ ला रहे हैं। दादी को एक तरफ बैठाया गया है और दूसरी तरफ भगवान शिव की प्रतिमा को स्थापित किया गया है, जिससे संतुलन बना रहे। दोनों भाई बारी-बारी से कांवड़ को अपने कंधों पर उठाते हैं।
“मां के चरणों में ही चारों धाम समाए हैं”

विशु और जतिन बताते हैं कि उन्होंने भगवान भोलेनाथ से परिवार की सुख-शांति के लिए मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने के बाद उन्होंने तय किया कि अपनी दादी को गंगा स्नान कराने हरिद्वार ले जाएंगे। अब वे उन्हें साथ लेकर अपने गांव लौट रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। मां के चरणों में ही चारों धाम समाए हुए हैं। उनका ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता।”
बागपत में पड़ी डेरा, राहगीरों के लिए भी बनी प्रेरणा
वर्तमान में ये दोनों पोते अपनी दादी के साथ बागपत पहुंचे हैं। रास्ते में हर कोई इस अद्भुत यात्रा को देखकर अचंभित है। लोग रुककर फोटो खिंचवाते हैं, आशीर्वाद देते हैं और वीडियो बनाते हैं। यह यात्रा सोशल मीडिया पर भी वायरल हो चुकी है और लोग इसे एक मिसाल बता रहे हैं।
काशी से अयोध्या तक शिवालयों में उमड़े श्रद्धालु
सावन का माह शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। काशी विश्वनाथ धाम, अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर, अमरोहा, बुलंदशहर, सहारनपुर और अन्य जिलों में शनिवार से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। काशी विश्वनाथ मंदिर में सिर्फ देश ही नहीं, अमेरिका, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, मॉरीशस जैसे देशों से भी श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन को पहुंचे।
धार्मिक उत्सव के बीच प्रशासन सतर्क
सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद है। कई जिलों में रूट डायवर्जन लागू किया गया है, भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है और विशेष पुलिस बल तैनात किए गए हैं। बुलंदशहर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 115 बाइक सवार ‘कांवड़ फैंटम’ दस्ते को गश्त पर भेजा गया है।
सहारनपुर में 27 पुलिसकर्मी सस्पेंड
कांवड़ यात्रा जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में अनुशासन का पालन सबसे जरूरी होता है। सहारनपुर के एसएसपी आशीष तिवारी ने इस नियम का उल्लंघन करने वाले 27 पुलिसकर्मियों को ड्यूटी से नदारद पाए जाने पर निलंबित कर दिया है। इनमें सब इंस्पेक्टर, हेड कॉन्स्टेबल और कांस्टेबल स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
सस्पेंड किए गए पुलिसकर्मियों में ये नाम प्रमुख हैं:
सब इंस्पेक्टर रविंद्र मलिक

महिला कॉन्स्टेबल प्रीति, अंशु, शाइस्ता हेड कांस्टेबल जोनी कुमार, सतेंद्र सिंह, संजीव कुमार कांस्टेबल अमित कुमार, प्रवेश कुमार, दीपक माधुर, रवि चौहान, रवेंद्र कुमार, आदि
एसएसपी तिवारी ने कहा कि धार्मिक आयोजन के दौरान ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी को समय पर ड्यूटी पर उपस्थित रहना अनिवार्य है।
फूड सेफ्टी को लेकर भी सख्ती
अयोध्या, अमरोहा, गजरौला समेत कई जगहों पर फूड सेफ्टी विभाग भी सतर्क है। अयोध्या में खाद्य सुरक्षा आयुक्त माणिक चंद्र सिंह ने निर्देश दिए हैं कि सभी कांवड़ मार्गों पर स्थित होटलों और दुकानों में “फूड सेफ्टी कनेक्ट ऐप” इंस्टॉल किया जाए। इससे भोजन की गुणवत्ता और विक्रेता की जानकारी ऑनलाइन ट्रैक की जा सकेगी।
गजरौला में अंडे की करी विवाद
शुक्रवार को अमरोहा जिले के गजरौला में कांवड़ियों ने एक ढाबे पर जमकर हंगामा किया। आरोप लगाया गया कि शाकाहारी भोजन में अंडे की करी मिलाई गई है। फूड सेफ्टी विभाग की टीम जांच के लिए पहुंची, लेकिन जांच में आरोप झूठे निकले। पता चला कि झगड़ा भोजन के पैसों के लेन-देन को लेकर हुआ था।
कांवड़ यात्रा का बदलता स्वरूप
कांवड़ यात्रा अब सिर्फ भक्ति नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव बनती जा रही है। ड्रोन से लेकर डी.जे. साउंड, फैंसी झांकियों और हाईटेक कांवड़ों ने यात्रा को आधुनिक रूप दे दिया है। 1990 के दशक के बाद से कांवड़ यात्रा में तकनीकी साधनों का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ा है।
कांवड़ यात्रा के प्रमुख प्रकार:
- डाक कांवड़ – बेहद तेज़ गति से भगवा ध्वज के साथ की जाने वाली दौड़नुमा यात्रा।
- झंडा कांवड़ – बड़ी ध्वजाओं और झांकियों के साथ निकाली जाती है।
- ग्रुप कांवड़ – एक साथ 10-20 लोग यात्रा करते हैं, साथ में किचन, डीजे और लाउडस्पीकर होता है।
- विशेष कांवड़ – जैसे कि विशु और जतिन की दादी को लेकर निकाली जा रही मानवता की मिसाल।
- डिजिटल कांवड़ – इसमें लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो ब्लॉगिंग भी की जा रही है।
अयोध्या के हनुमानगढ़ी में दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब
सावन के दूसरे दिन अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। मंदिर परिसर में हर-हर महादेव के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। लोग भोर से ही दर्शन के लिए कतारों में लगे रहे।
काशी में रूट डायवर्जन, सीमा सील
काशी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए शहर के अंदर भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सीमा को सील किया गया है और केवल कांवड़ियों को ही प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है। प्रशासन ने सभी थाना क्षेत्रों में हेल्पडेस्क और फर्स्ट एड की सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।
संवेदनशील इलाकों में विशेष निगरानी
बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली और हापुड़ जैसे संवेदनशील जिलों में भीड़ नियंत्रण और कानून व्यवस्था के मद्देनज़र अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। गाजियाबाद और नोएडा जैसे शहरी इलाकों में भी शिवभक्तों की भीड़ के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।