
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में 25 जून को घटी एक शर्मनाक घटना ने राज्य की कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कॉलेज परिसर के भीतर एक छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले ने जैसे-जैसे परतें खोलीं, वैसे-वैसे लापरवाही, राजनीतिक हस्तक्षेप और दबाव की तस्वीर सामने आती गई।
गार्ड रूम में सात घंटे तक कैद और गैंगरेप
यह भयावह घटना कॉलेज परिसर में स्थित गार्ड रूम में अंजाम दी गई, जहां पीड़िता को सात घंटे तक बंधक बनाकर कई बार दुष्कर्म किया गया। पीड़िता ने जब पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, तब मामले की जांच शुरू हुई और कॉलेज के CCTV फुटेज में अपराध की पुष्टि हो गई।
CCTV में कैद पूरी वारदात
जांच में सामने आया कि 25 जून की दोपहर 3:30 बजे से रात 10:50 बजे तक की फुटेज में पीड़िता को जबरन गार्ड रूम की ओर ले जाते हुए साफ देखा गया। इस दौरान मुख्य आरोपी समेत कई अन्य संदिग्धों की आवाजाही भी रिकॉर्ड हुई, जिससे पीड़िता के बयान की पुष्टि हुई।
मेडिकल रिपोर्ट में भी दुष्कर्म की पुष्टि
कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (CNMC) में कराए गए मेडिकल परीक्षण में दुष्कर्म की पुष्टि हुई। रिपोर्ट में शरीर पर चोट, खरोंच और दांतों के निशान मिले, जो पीड़िता पर शारीरिक हिंसा की गवाही दे रहे हैं।
चार आरोपी गिरफ्तार, SIT गठित
पुलिस ने अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है:
मनोजीत मिश्रा (31) – मुख्य आरोपी, कॉलेज का पूर्व छात्र और अस्थायी फैकल्टी सदस्य, जो छात्र राजनीति से भी जुड़ा रहा है।
जैब अहमद (19) और प्रमित मुखर्जी (20) – कॉलेज के वर्तमान छात्र।
पिनाकी बनर्जी (55) – कॉलेज का गार्ड, जिस पर गार्ड रूम को अपराध स्थल बनने देने का आरोप है।
पुलिस ने 27 जून को एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की, जिसकी कमान एसीपी प्रदीप कुमार घोषाल को सौंपी गई है। शुरुआत में 5 सदस्यों वाली इस टीम में अब 9 अधिकारी काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने जताई चिंता
रविवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार ने कॉलेज का दौरा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पीड़िता और उसका परिवार भारी दबाव में है। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रही है और उन्हें घटना स्थल पर वीडियो रिकॉर्डिंग की अनुमति भी नहीं दी गई।
राजनीतिक बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप
घटना को लेकर राज्य की सियासत गर्म है। भाजपा ने विरोध प्रदर्शन के तहत ‘कन्या सुरक्षा यात्रा’ का आयोजन किया, जिसकी अगुवाई नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने की।
इस बीच तृणमूल कांग्रेस (TMC) को अपने नेताओं के बयानों को लेकर सफाई देनी पड़ी:
कल्याण बनर्जी (सांसद) ने कहा, “अगर दोस्त ही रेप कर दे तो कोई क्या कर सकता है?”—TMC ने इसे उनका व्यक्तिगत विचार बताते हुए पार्टी लाइन से अलग बताया।
मदन मित्रा (विधायक) को असंवेदनशील टिप्पणी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
MiTMC से आरोपी के संबंध पर विवाद

भाजपा नेता अमित मालवीय ने दावा किया कि मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा TMC से जुड़ा है। उन्होंने एक बंगाली रिपोर्ट शेयर करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी के संरक्षण में अपराध को अंजाम दिया गया। TMC के छात्र विंग के प्रमुख तृणकुर भट्टाचार्य ने माना कि मनोजीत पार्टी का जूनियर सदस्य था, लेकिन यह भी जोड़ा कि कॉलेज इकाई अब सक्रिय नहीं है।
कॉलेज प्रशासन की चुप्पी और सवाल
कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल नयना चटर्जी ने NDTV से बातचीत में कहा कि उन्हें घटना की जानकारी मीडिया के जरिए मिली। पीड़िता या किसी अन्य ने कॉलेज प्रशासन को पहले से कोई शिकायत नहीं दी थी। उन्होंने बताया कि आरोपी मनोजीत को अस्थायी फैकल्टी के रूप में नियुक्त किया गया था क्योंकि कॉलेज में स्थायी शिक्षकों की कमी है।
कानून व्यवस्था पर गहरा सवाल
सवाल यह है कि कॉलेज जैसे संरक्षित परिसर में इतनी बड़ी वारदात कैसे हो गई? क्या प्रशासन और पुलिस ने जानबूझकर लापरवाही बरती? क्यों महिला आयोग और पीड़िता का परिवार जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं?
बंगाल सरकार का रुख और जवाबदेही
राज्य की मंत्री शशि पांजा ने विधानसभा में कहा कि ‘अपराजिता विधेयक’, जिसमें बलात्कारियों को फांसी की सजा का प्रावधान है, अभी तक कानून नहीं बन सका क्योंकि भाजपा ने उसे अटका दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के शरीर को राजनीतिक लड़ाई का मैदान नहीं बनाना चाहिए।
2024 की दर्दनाक घटना की याद
इस घटना ने कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2024 में हुए रेप और मर्डर केस की याद ताजा कर दी। एक ट्रेनी डॉक्टर का सिविक वॉलंटियर द्वारा बलात्कार कर हत्या कर दी गई थी। अदालत ने आरोपी संजय रॉय को जनवरी 2025 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
न्याय की मांग और जन आक्रोश
सोशल मीडिया पर #JusticeForLawStudent ट्रेंड कर रहा है। कॉलेज के छात्र, महिला संगठन और आम लोग सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग कर रहे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं—क्या न्याय मिलेगा या यह भी एक और लंबी, पेचीदा और राजनीतिक रूप से प्रभावित जांच बनकर रह जाएगा?
कोलकाता लॉ कॉलेज गैंगरेप केस सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि एक आईना है उस व्यवस्था का जिसमें पीड़िता की चीखें सत्ता, सियासत और सिस्टम की दीवारों में गूंजते-गूंजते दबा दी जाती हैं। जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक “सुरक्षित परिसर” भी महिलाओं के लिए असुरक्षित ही रहेंगे।