कोलकाता में हुए बहुचर्चित गैंगरेप केस ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला अब न सिर्फ एक आपराधिक जांच का विषय है, बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था, शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी और महिला सुरक्षा जैसे कई बड़े सवालों को भी जन्म दे चुका है। घटना में तीन आरोपियों – मनोजित मिश्रा, जैब अहमद और प्रमीत मुखर्जी – को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से मुख्य आरोपी मनोजित मिश्रा की बार काउंसिल सदस्यता रद्द कर दी गई है। वहीं, पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि यह वारदात एक सुनियोजित षड्यंत्र थी।
बार काउंसिल की सख्ती: आरोपी को मिली बड़ी सज़ा
पश्चिम बंगाल बार काउंसिल ने बुधवार को एक विशेष बैठक के बाद आरोपी मनोजित मिश्रा का नाम वकीलों की सूची से हटा दिया। बार काउंसिल के चेयरमैन अशोक देव ने बताया कि एक ऐसे अमानवीय और गंभीर अपराध के आरोपी को वकालत जैसे जिम्मेदार पेशे में बनाए रखना न केवल संस्था की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि सामाजिक न्याय की भावना के भी विपरीत है। मनोजित एक पंजीकृत वकील था, लेकिन घटना में उसकी संलिप्तता सामने आने के बाद तत्काल प्रभाव से उसकी सदस्यता रद्द कर दी गई।
आरोपियों की चालाकी: पुलिस को गुमराह करने की कोशिश
कोलकाता पुलिस ने जानकारी दी कि तीनों आरोपी लगातार अलग-अलग बयान देकर जांच को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं। जांच अधिकारियों ने बताया कि ये तीनों लॉ स्टूडेंट्स हैं और कानून की बारीकियाँ अच्छी तरह जानते हैं, इसीलिए वे तकनीकी खामियों का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि घटना से कुछ समय पहले ये तीनों किन-किन लोगों से मिले थे और किसके संपर्क में थे।
पीड़िता की हालत गंभीर, महिला आयोग ने जताई चिंता
पश्चिम बंगाल महिला आयोग की अध्यक्ष लीना गांगोपाध्याय ने बताया कि पीड़िता अत्यधिक सदमे में है और उसे मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की जरूरत है। आयोग ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि पीड़िता को हरसंभव सहायता दी जाए और इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए।
लॉ कॉलेज की भूमिका सवालों के घेरे में
घटना जिस लॉ कॉलेज में हुई, उसकी कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल डॉ. नयना चटर्जी से पुलिस ने दो बार पूछताछ की है। मनोजित मिश्रा ने 26 जून की सुबह उन्हें फोन किया था। पुलिस ने बताया कि कॉलेज परिसर में उस वक्त कुल 16 लोग मौजूद थे, जिनसे पूछताछ की जा रही है।
कॉलेज प्रशासन ने भी कार्रवाई करते हुए मनोजित मिश्रा को अस्थायी फैकल्टी पद से बर्खास्त कर दिया है और दोनों छात्र आरोपियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
कैमरे की आंख से मिला सच: CCTV फुटेज में कैद हुई दरिंदगी
पुलिस को लॉ कॉलेज के सुरक्षागार्ड के कमरे से CCTV फुटेज मिली है, जिसमें पीड़िता को जबरन कमरे में ले जाने की घटनाएं कैद हैं। 25 जून को दोपहर 3:30 बजे से रात 10:50 बजे तक की रिकॉर्डिंग में इस अमानवीय कृत्य की पूरी कहानी सामने आती है। पीड़िता की शिकायत और मेडिकल रिपोर्ट में भी गैंगरेप की पुष्टि हुई है।
मेडिकल रिपोर्ट और डिजिटल सबूतों से पुष्टि
28 जून को पीड़िता का मेडिकल परीक्षण हुआ जिसमें बलात्कार के स्पष्ट संकेत मिले। पीड़िता के शरीर पर दांत और नाखून के खरोंच के निशान थे। इसके अलावा, पुलिस ने आरोपियों के कॉल डिटेल्स, लोकेशन डेटा और अन्य डिजिटल सबूत भी जब्त किए हैं। एक मेडिकल स्टोर से भी CCTV फुटेज मिली, जहां से जैब अहमद ने पीड़िता के लिए इनहेलर खरीदा था। यह फुटेज भी आरोपियों की मंशा को दर्शाती है।
कॉलेज स्टाफ की लापरवाही
कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल ने माना कि आरोपी की नियुक्ति स्टाफ की कमी के कारण की गई थी। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि घटना की जानकारी उन्हें मीडिया के माध्यम से मिली। कॉलेज प्रशासन को न तो पीड़िता ने और न ही किसी अन्य ने शिकायत दी थी। उन्होंने बताया कि पुलिस ने घटना के अगले दिन परिसर में जांच की अनुमति मांगी थी और दो कमरों को सील कर दिया गया है।
आरोपी की पूर्व बैचमेट का बड़ा खुलासा
मनोजित की पूर्व बैचमेट ने पुलिस को बताया कि वह कॉलेज में डर का माहौल बना देता था। वह अक्सर लड़कियों की तस्वीरें लेकर ग्रुप में शेयर करता था, उन्हें प्रपोज करता था और उन्हें परेशान करता था। उसकी कॉलेज में हर जगह पहुंच थी – छात्रों के फोन नंबर से लेकर उनके घर के पते तक वह जानता था।
गिरफ्तारी और पुलिस जांच की दिशा
तीनों आरोपियों – मनोजित, प्रमीत और जैब को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है और उनकी पुलिस हिरासत 8 जुलाई तक बढ़ा दी गई है। उनके शरीर, रक्त, मूत्र और बालों के नमूनों की जांच की गई है। जांचकर्ताओं के अनुसार, इन तीनों ने पीड़िता को लंबे समय से ट्रैक कर रखा था और वारदात पहले से प्लान की गई थी।
CBI जांच की मांग
कोलकाता हाईकोर्ट में इस केस की CBI जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि आरोपी का संबंध सत्ताधारी पार्टी TMC से है, इसलिए राज्य पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती। याचिका में पीड़िता को मुआवज़ा देने और सरकारी कॉलेजों में महिला सुरक्षा के लिए सिविल वॉलेंटियर तैनात करने की भी मांग की गई है।
पहले भी कोलकाता में हो चुकी है ऐसी दर्दनाक घटना
गौरतलब है कि यह कोलकाता में पिछले 10 महीनों में दूसरी बड़ी यौन हिंसा की घटना है। अगस्त 2024 में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर का मामला सामने आया था। आरोपी सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी। इस घटना के बाद बंगाल में स्वास्थ्य सेवाएं महीनों तक प्रभावित रहीं।
सामूहिक बलात्कार की कानूनी व्याख्या
कोलकाता के मुख्य अभियोजक सौरव घोषाल ने बताया कि in सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बलात्कार की योजना में शामिल है या मदद करता है, तो वह भी बलात्कारी माना जाएगा। इसी आधार पर इस केस को सामूहिक बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है।