लखनऊ/वाराणसी/प्रयागराज – उत्तर प्रदेश में मानसून इस समय अपने पूरे प्रचंड रूप में है। राज्य के कई जिलों में भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। वाराणसी, प्रयागराज, गोंडा और लखीमपुर खीरी समेत 10 जिलों में मौसम विभाग ने भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं, गंगा और यमुना का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। इस बीच वाराणसी में लखनऊ हाईवे पर 20 फीट सड़क धंस गई, जिसमें एक युवक और पुलिस की बैरिकेडिंग गिर गई।
वाराणसी में हाईवे धंसा, युवक और बैरिकेडिंग नीचे गिरे
गुरुवार सुबह वाराणसी के गिलट बाजार पुलिस चौकी के सामने लखनऊ-वाराणसी हाईवे का एक हिस्सा अचानक धंस गया। लगभग 20 फीट गहरी इस धंसी सड़क में एक युवक और पुलिस की बैरिकेडिंग नीचे गिर गए। स्थानीय लोगों की मदद से युवक को सुरक्षित बाहर निकाला गया। दो दिन पहले भी इसी स्थान पर सड़क धंसने से एक रोडवेज बस फंस गई थी, जिसे बाद में पीडब्लूडी विभाग ने अस्थाई पैच वर्क कर ठीक किया था।
इस घटना ने विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सड़कों की गुणवत्ता बेहद खराब है और बारिश शुरू होते ही सड़कें धंसने लगती हैं।
प्रयागराज: गंगा-यमुना का जलस्तर खतरे के करीब
प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों ही नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।

गंगा नदी इस समय 76.80 मीटर और यमुना नदी 75.58 मीटर के जलस्तर पर बह रही हैं, जबकि गंगा का खतरे का निशान 84.73 मीटर है। यदि बारिश का यही क्रम बना रहा तो जलस्तर खतरे के निशान को पार कर सकता है।
प्रशासन ने बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी एसडीएम और तहसीलदारों को अलर्ट कर दिया है। बाढ़ चौकियां सक्रिय कर दी गई हैं और शरणालय केंद्रों की तैयारी शुरू हो गई है।
फर्रुखाबाद: गंगा खतरे के निशान के बेहद करीब
फर्रुखाबाद में गंगा नदी का जलस्तर 136.60 मीटर तक पहुंच चुका है जबकि खतरे का निशान 137.10 मीटर है। ऐसे में नदी के आसपास बसे गांवों, जैसे अमृतपुर और कायमगंज तहसील के क्षेत्रों में बाढ़ का पानी भरने लगा है। लोहिया सेतु के पांचाल घाट पर भी जलस्तर में वृद्धि देखी गई है, जिससे लोग दहशत में हैं।
लखीमपुर खीरी में सबसे ज्यादा बारिश
पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य में सबसे अधिक वर्षा लखीमपुर खीरी में दर्ज की गई, जहां 212 मिमी बारिश हुई। वहीं पूरे प्रदेश में औसतन 6.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य 5.5 मिमी से 13 प्रतिशत अधिक है। एक जून से अब तक राज्य में कुल 130.5 मिमी बारिश हो चुकी है, जो कि सामान्य 106.8 मिमी से 22 प्रतिशत अधिक है।
गोंडा: सरयू और घाघरा के बढ़ते जलस्तर से दो तहसीलों में अलर्ट
गोंडा जिले की दो तहसीलें—कर्नलगंज और तरबगंज—सरयू और घाघरा नदी के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित हैं। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बताया कि नदी किनारे बसे गांवों में पानी घुसने लगा है। प्रशासन ने अलर्ट जारी करते हुए मॉक ड्रिल भी की है। सभी बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है और राहत कार्यों की तैयारी शुरू कर दी गई है।
फतेहपुर: बच्चों को स्कूल भेजने के लिए महिलाओं ने बनाया लकड़ी का पुल
फतेहपुर जिले के बिंदकी तहसील के कृपालपुर गांव में रिंद नदी का जलस्तर बढ़ने से गांव का संपर्क कट गया। करीब 250 बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी हो रही थी। तब गांव की महिलाओं ने एक अस्थाई लकड़ी का पुल बनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे पूरा गांव मदद के लिए आगे आया। ग्रामीणों की प्रशासन से लंबे समय से पुल की मांग रही है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ।
वाराणसी: गंगा किनारे मंदिर डूबे, नाव सेवाएं बंद


वाराणसी में गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण घाट किनारे बने कई छोटे मंदिर जलमग्न हो गए हैं। नाव सेवाएं अस्थाई रूप से बंद कर दी गई हैं। प्रशासन द्वारा घाटों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जा रहे हैं और लोगों को जल स्तर के नजदीक न जाने की सलाह दी जा रही है।
मौसम विभाग का अलर्ट: अगले 5 दिनों तक राहत नहीं
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अगले 5 दिनों तक उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना बनी हुई है। लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली, गोंडा, फैजाबाद, प्रयागराज, फतेहपुर, लखीमपुर खीरी और फर्रुखाबाद में बारिश के साथ तेज हवाएं (20-30 किमी प्रति घंटे) चलने का अनुमान है।
30 जिलों में गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। बिजली गिरने की घटनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
प्रशासन की तैयारियां और जनता की चुनौतियां
बाढ़ की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से राहत केंद्रों की तैयारी की जा रही है। साथ ही नावों की व्यवस्था, बाढ़ चौकियों पर सतर्कता और मेडिकल टीमों को अलर्ट मोड में रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग को भी जलजनित बीमारियों को रोकने के लिए विशेष दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
ग्रामीण इलाकों में संपर्क मार्गों का टूटना, खेतों में पानी भरना, बिजली आपूर्ति बाधित होना जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। कई जगह लोग खुद नावों या अस्थाई साधनों से अपने काम कर रहे हैं, जो जोखिम भरा है।
निचले इलाकों में स्थिति गंभीर
राज्य के निचले इलाकों जैसे बलिया, बहराइच, श्रावस्ती, और सिद्धार्थनगर में भी नदियों के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इन जिलों में भी बाढ़ जैसी स्थिति बन रही है। लोग ऊंचे स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में मानसून ने इस बार अपने आगमन के साथ ही आफत ला दी है। सड़कें धंस रही हैं, नदियां उफान पर हैं और गांवों-कस्बों में बाढ़ का खतरा सिर पर मंडरा रहा है। प्रशासन अलर्ट पर है, लेकिन जिस रफ्तार से जलस्तर बढ़ रहा है, वह चिंता का विषय है। अगर बारिश की यही स्थिति बनी रही, तो राज्य में बाढ़ जैसी आपात स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में नागरिकों को सावधानी बरतने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सख्त जरूरत है।